Asifa Ka Dard

सह सह के दर्द ज़खमो से चूर  हो जाऊंगी 
मुझे क्या पता मैं इतनी मशहूर हो जाऊंगी 
जालिमों के जुल्म  का बन जाऊंगी शिकार 
मैं जानवरों की हवस का दस्तूर हो जाऊंगी 
मुझे क्या पता मैं इतनी मशहूर हो जाऊंगी
अम्मी से  मैंने यह एक रोज कहा था 
देखना बड़े हो के मैं  हूर हो जाऊंगी 


मुझे क्या पता मैं इतनी मशहूर हो जाऊंगी 
अम्मी तेरी आंखों का नूर छिन गया
 उम्मीद नहीं थी इतनी तुमसे दूर हो जाऊंगी 
मुझे क्या पता मैं  इतनी मशहूर हो जाऊंगी 


यह तो सोचा था अब्बू मेरी डोली सजाएंगे 
अब उन्हीं के हाथों दाखिले कबूर हो जाऊंगी 
मुझे क्या पता मैं इतनी मशहूर हो जाऊंगी
एक बार मुझे आकर आगोश में लो अब्बू
वादा करती हूं फिर कभी बाहर नहीं जाऊंगी
मुझे क्या पता मैं इतनी मशहूर हो जाऊंगी
ऐ वक्त के हाकिम मुझे इंसाफ दो वरना
कहरे खुदा का फर्श पर ज़हूर हो जाऊंगी 
मुझे क्या पता मैं इतनी मशहूर हो जाऊंगी



आसिफा  और उन्नाव की उस बेटी और उनके बर्बाद हुए परिवार की खामोश आवाज।

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